क्या हम आज़ाद हैं?
हमारे देश को अंग्रेज़ों ने लूटा;
हमने उनका सामना किया,
किया फिर भगाया
कितनों ने दी प्राणों की आहुति,
तब जा कर मिली गोरों से राहत,
एक नया सूर्योदय हुआ,
नयी प्रभा का अभ्युदय हुआ,
तब कुछ नर - पिशाच कर रहे षड्यन्त्र,
बनाया कुछ ऐसा है तन्त्र.
बाँट दिया एक सम्प्रभु भारत को,
छेड़ दिये उन्होंने प्रतिवाद;
जन्म लिया जातिवाद, क्षेत्रवाद, सम्प्रदायवाद
सफल हुई उनकी सब रणनीति,
जन्म ली कुछ ऐसी राजनीति,
अब आयी है हम पर ऐसी आप - बीती,
उनकी मंशा पूरी हुई;
नहीं ख़त्म हुआ उनका सम्वाद,
जारी रखा अपना परिवारवाद,
जैसे उनका ही वंश हुआ, उनके ही बेटे हुए,
अपने देश के कर्णधार उनके ही बेटे हुए.
जिनको मयस्सर हुई नहीं ग़रीबी,
फिर भी इसका उन्होंने हमें पढ़ाया पाठ,
जनता बन रही मूर्ख और सुन रही पाठ,
जीते हैं वे, उपभोग कर रहे ठाट,
तकरीबन पूरे हुए दशक हैं आठ,
भाई यह कैसी आज़ादी हुई?
दिन - ब - दिन हम सब की बर्बादी हुई!
दिया हमें महँगाई है,
कठिन कर दी पढ़ाई है,
जन - मानस सोच कर घबराता है,
कैसे कष्टों से हमारा नाता है,
वह कष्ट हमारे जान न पाता है,
फिर भी न जाने क्यों वोट माँगने आता है
कल्पना है ऐसे राष्ट्र की,
जहाँ सब का पूरा होता हक़ हो,
सबको समान अधिकार प्राप्त हो,
. संसाधनों का भरपूर उपयोग हो
न कोई भुखमरी हो,
न कोई रोग हो |
- सन्तोष कुमार यादव (2014/01/01)
Nice way to express reality...gd keep it up.
ReplyDeletethanks bro..
Deletereally good.
ReplyDeleteIt's my pleasure !! B T W thanks
DeleteHmm & Thanks a lot Pandey G
ReplyDeleteA big salute for u sir because memories this moment by blog....
ReplyDeletehmm
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