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    कोरोना: यह पीर गुज़र जाएगा, यह दौर गुज़र जाएगा।



    कोरोना की वजह से आन पड़ी बड़ी विपत्ति आज,
    रुक गई बसें, ठहर गई ट्रेनें, न उड़ सका जहाज !!

    कुछ लोग  विदेशों से आए हैं,
    और नई बीमारी/महामारी लाए हैं ।।

    इतना तो सोचो जरूर,
    इन ग्रामीणों, इन मजदूरों, इन बच्चों  इन बूढ़ों का,
    क्या है कसूर?
    ये बेकसूर हैं लाचार हैं, बस होते  बीमार हैं।

    चारों तरफ एकांत, घर ही घर है।
    यह कैसा मंजर है, (मानो हमारे सीने में खंजर है).

    सुनसान सी सड़के हैं, सुनसान से बाजार,
    यहां तो सब घबराए हैं, असहाय व लाचार !!

    कैसा है कोरोना , 
    समस्त मानव को पड़ रहा रोना |
    कुछ को अपनी जिंदगी पढ़ रहा खोना,
    दिन हो या रात हो, अकेले पड़ रहा सोना।

    हमको, आपको और सबको पता है,
    इन जवानों, बच्चों और बूढ़ों की, 
    बहुत सी हसरत बाकी है।।
    इस वक्त बस एक‌ बची चलाकी है,
    क्योंकि सबसे सफल अस्त्र एकाकी है।।

    अकेलापन! आखिर यह इतना बड़ा कारण?
    इस आपत्ति का बस एक ही निवारण,

    सुन लो भाई बंधु और सारे जन ,
    क्योंकि यही कह रहा विश्व स्वास्थ्य संगठन।

    सोचो हम को क्या करना है,
    हम सबको , घर में रहना है!!

    जब हम अपने परिवार के साथ अकेले निवाला खाएंगे,
    जब हम अपने हुनर के साथ कुछ वक्त बिताएंगे|

    कुछ सीखेंगे,  कुछ सिखाएंगे,
    तब शायद इस विपत्ति को हरा पाएंगे।

    यह असमंजस के काले बादल भी छट जाएंगे,
    वीरान सड़कों और बाजारों के सन्नाटे हट जाएंगे!!

    कोरोना की वजह से आन पड़ी बड़ी विपत्ति आज,
    रुक गई बसें, ठहर गई ट्रेनी, न उड़ सका जहाज !!!

    जो ये नर्स -डॉक्टर है 
    जो ये  सफाई कर्मी है,
    जो ये  जवान है 
    जो ये  किसान हैं,
    ये लोग मानव हित में जुट जातें हैं।
    ये अपनी जिंदगी दांव पर लगातें हैं।।

    ये सब इस अदृश्य युद्ध के योद्धा है आज,
    क्योंकि इन योद्धाओं के चलते ही,

    चलेंगी बसें , दौड़ेगी ट्रेनें और उड़ेगा जहाज।
    बांध दो उनके सिर पर ताज, 
    जला दो असंख्य दीपक आज।।

    कोरोना को कैसे करें शांत? 
    हम केवल पड़े रहे एकांत!!

    क्या ये वीरान सड़के, बाजार, मंडी ऐसे ही एकांत होंगे?
    नहीं कतई नहीं!!

    यह पीर गुज़र जाएगा,
    यह दौर गुज़र जाएगा।।

    मानव फिर से सड़कों पर आएगा,
    दो वक्त की रोटीओं के लिए, दफ्तर / गंतव्य को जाएगा।
    फिर अपने परिवार का हौसला बढ़ाएंगा,
    देश के निर्माण में कदम से कदम मिलाऐग।।

    यह पीर गुज़र जाएगा,
    यह दौर गुज़र जाएगा।।

           -: सन्तोष कुमार यादव [05-04-2020]

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