सुनो तो ये संगीत है मेरा!
सुनो तो ये संगीत है मेरा ,
नही कोई एक मीत है मेरा।
हुआ मिलन हम दोनों का ,
था, समय अगस्त महीने का।
मैंने है मीत नया पाया ,
सबने परिचय कुछ करवाया।
है संसय कुछ ,कुछ हैविश्वास,
है सबको कुछ हमसे भी आस।
सुनो सार संगीत की ,
सुनो कथा अब मीत की ।
वह बाहर घर से है आया ,
मीत मेरा मौक़ा पाया ।
नया देश और नया भेश देख वह कुछ घबराया ,
किया नही कुछ ऐसा ,जिससे वह पीछे मुड़पाया।
पाया उसने जब यह ज्ञान ,
छोडो डरना लगाओ ध्यान ।
तलवार में शक्ति जब छोड़े म्यान ,
सर कलम करे शत्रु का,और बढ़ाये आन ।
उसके अन्दर अब हिम्मत आयी ,
उसने भी अनेक जुगति लगायी ।
और उसने की तनिक पढ़ायी ,
अब नयी मुसीबत सामने आयी ।
जीवन नटी की अदभुत दीन,
बजा रही ऐसा वह बीन।
तनिक साधना सुर में लीन ,
तनिक साधना सुर में लीन ,
घटित न हो घटना संगीन।
है गीत ऐसा उसने गाया ,
मन मीत का है उसपर आया।
लाख कोशिशें की उसने ,पर
लाख कोशिशें की उसने ,पर
अपने को है ,रोक न पाया।
रहता दिन रात वह पस्त ,
करता वह इंतजाम समस्त।
दिखता है ,हरवक़्त वह ब्यस्त।
नही आगे वह रह न सका ,
अबतक है वह ,कुछ कह न सका।
आगे क्या कुछ कह पायेगा ?
क्या ?अपना डर दूर भगायेगा।
या फिर अपनी जड़ करनी पर,
वह, आगे-पीछे पछतायेगा।
ऐसी कोई विकट न आवे ,
नटी कोई और न भावे।
कही आशा उसकी (मनमीत की )टूट न जावे ,
नटी उससे ही रूठ न जावे।
मनमीत मेरा कुछ ऐसा है,
जैसे बज़ार में पैसा है।
समझोगे तो मुस्काओगे ,
तुम भी नाचोगे गाओगे।
सुनो तो ये संगीत है मेरा ,
नही कोई एक मीत है मेरा।
-: सन्तोष कुमार यादव
वाह सन्तोष, कविता थोड़ी लम्बी है और जिस प्रश्न को उभारती है, उसका उत्तर देना युवाओं का दायित्व है. मैं साथ रहूँगा, जीवन भर और जीवन के बाद भी... ढेर सारा प्यार - गिरिजेश
ReplyDeleteohk sir and Thank you so much...
Deletenice facts sir with beautiful poem
ReplyDeleteHmm And thanks
DeleteKya baat h Bhai...aapne to is poem se Kai pahluo KO define kiya h....b t w smwt inspiring bhi h ...yua k liye gd keep it up.
ReplyDeletenice poem sir
ReplyDeleteyeah bro..
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