अन्नदाता के अस्तित्व पे सर्वहारा का प्रहार
केवल एक वर्ष नही हर वर्ष और बारम्बार।
अन्नदाता, होता है बस राजनीति का शिकार,
पीता खून के घूँट , झेलता तिरष्कार।।
हर सरकार कर रही खूब इनका दोहन,...
चाहे अब के मोदी हो, चाहे तबके के मनमोहन।
लेकिन हर बार कैसे करते ये अन्नदाता को सम्मोहन,
अन्नदाता परिश्रम से अपने कर्तव्य करता निर्वहन।।
क्या ये ऐसे मरते जायेंगे ?
कब ये अपना हक पाएंगे ?
कब ये शान से सिर अपना ये उठाएंगे?
कब ये सबसे कदम से कदम मिलाएंगे?
हम सबको अब क्या करना है ?
क्या गागर में सागर भरना है?
अगर अन्न ना मिला हम्हें तो,
फिर हमको भी तो मरना है।।
कदम से कदम मिलाओ यारों,
अन्नदाता की बात बढ़ाओ यारों,
कालाबाजारी हटवाओ यारों,
बिचौलियों को दूर भगाओ यारो,
- संतोष कुमार यादव (2-12-2018 1:00 am)©
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संलग्न : बीबीसी हिंदी से योगेंद्र यादव का ब्लॉग पढ़ना न भूलें।।
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